भोपाल. भोपाल की रिया जैन को बुधवार को राष्ट्रपति भवन में 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2020' प्रदान किया गया। मप्र से रिया वह पहली बच्ची हैं, जिन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से यह सम्मान प्राप्त हुआ। इसके तहत मैडल, 1 लाख रुपए की राशि और 10 हजार रुपए का बुक वाउचर दिया जाता है। 16 साल की रिया के लिए राष्ट्रपति भवन में इस सम्मान को पाने का अनुभव कैसा रहा,
उन्हीं के शब्दों में-
स्कूल जाने के लिए सुबह 6 बजे उठना मुश्किल लगता है, लेकिन आज की सुबह मेरी नींद 6 के कुछ पहले ही खुल गई थी। 9 बजे राष्ट्रपति भवन पहुंचने का समय था। यह पहला मौका था जब मैं राष्ट्रपति भवन में अपने परिवार के साथ जाने वाली थी। एक्साइटमेंट इतना था कि ब्रश करना तो क्या नाश्ता करने में भी मन नहीं लग रहा था। हम ठीक 9 बजे राष्ट्रपति भवन जा पहुंचे। पहले ही बताया गया था कि, सुबह 9.30 बजे से सम्मान किस तरह से ग्रहण करना है, इसकी रिहर्सल कराई जाएगी। पिछले साल यह पुरस्कार पा चुके विजेताओं से मिलवाया गया। हम 10.45 पर हॉल में अपनी जगह ले चुके थे।
दरबार हॉल, वही जगह थी जहां पद्मश्री पुरस्कार दिए जाते हैं। उस हॉल की कुर्सियों को देखकर मैं मन ही मन कल्पना कर रही थी कि जैसे पद्मश्री लेने वाले बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन मेरे बगल की कुर्सी पर बैठे हों। हमें पूरा राष्ट्रपति भवन विजिट करवाया गया। वहां के अलग-अलग कमरों और गैलरीज में बहुत खूबसूरत पेंटिंग्स लगी थीं, जिनको देखकर लगा कि मेरी ड्रॉइंग के लिए सम्मान तो बहुत मिल गए हैं, ऐसी कोई पेंटिंग जरूर बनाऊंगी, जो राष्ट्रपति भवन का हिस्सा बन सके।
हमने अशोक हॉल देखा, जहां सीलिंग पर शिकार करते हुए राजा की पेंटिंग बनी थी। इसकी खासियत यह थी कि, इसको किसी भी एंगल से देखें, तो राजा की नजर आप पर ही दिखाई देती है। एक खास कालीन भी देखी, जिस पर से होकर राष्ट्रपति दरबार हॉल में आते हैं। यह कालीन ऐसी जगह पर है, जहां वह दिल्ली को बराबर के दो हिस्सों में बांटती है। यहां का डाइनिंग हॉल और गेस्ट हॉल भी देखा जहां देश-विदेश से आने वाले अतिथियों को राष्ट्रपति से मिलने के लिए रुकवाया जाता है।
रिया 11वीं की स्टूडेंट हैं और 6 साल की उम्र से पेंटिंग कर रही हैं। उनके पिता श्रेयांस कुमार जैन बिजनेसमैन हैं और मां रजनी होममेकर हैं। पेंटिंग के लिए रिया को 8 अंतरराष्ट्रीय, 20 राष्ट्रीय समेत 150 पुरस्कार मिल चुके हैं।
(रिया ने यह कल्पना की, क्योंकि उन्हें उसी दरबार हॉल में उसी प्रोसेस से सम्मानित किया गया जैसा पद्म पुरस्कार देते वक्त किया जाता है)