गुनहगार विनय कुमार शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की क्यूरेटिव पिटीशन, इसे माना जाता है आखिरी रास्ता

निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका या रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है। इससे पहले पिछले साल 9 जुलाई को इस मामले के तीन दोषियों मुकेश, पवन और विनय की पुनर्विचार याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। इनके खिलाफ डेथ वॉरंट जारी कर, अदालत ने सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया है। फांसी की सजा के खिलाफ निर्भया गैंगरेप के चार गुनहगारों में से एक विनय कुमार शर्मा ने आज सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की। इस याचिका के लंबित रहने तक डेथ वारंट पर रोक लगी रहेगी। क्यूरेटिव पिटीशन को उपचारात्मक याचिका भी कहा जाता है। हम आपको क्यूरेटिव पिटीशन के बारे में बता रहे हैं.....



कब किया जा सकता है क्यूरेटिव पिटीशन का इस्तेमाल
क्यूरेटिव पिटीशन तब दाखिल की जाती है, जब किसी मुजरिम की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है। ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन उस मुजरिम के पास मौजूद अंतिम मौका होता है, जिसके ज़रिए वह अपने लिए सुनिश्चित की गई सज़ा में नरमी की गुहार लगा सकता है। क्यूरेटिव पिटीशन में ये बताना ज़रूरी होता है कि आख़िर वो किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती कर रहा है।



क्यूरेटिव पिटीशन है अंतिम कड़ी
वास्तव में Curative Petition शब्द का जन्म ही Cure शब्द से है, जिसका मतलब होता है उपचार। क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी मामले में अभियोग की अंतिम कड़ी होता है, इसमें फैसला आने के बाद मुजरिम के लिए आगे के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। आमतौर पर राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के बाद कोई भी मामला खत्म हो जाता है, लेकिन 1993 के बॉम्बे सीरियल ब्लास्ट मामले में दोषी याकूब अब्दुल रज़्ज़ाक मेमन के मामले में ये अपवाद हुआ और राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करने की मांग स्वीकार की थी।



2002 में सामने आया था क्यूरेटिव पिटीशन का पहला मामला
क्यूरेटिव पिटीशन की अवधारणा साल 2002 में रूपा अशोक हुरा बनाम अशोक हुरा और अन्य मामले की सुनवाई के दौरान हुई। बहस के दौरान जब ये पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद भी क्या किसी दोषी को राहत मिल सकती है। नियम के मुताबिक ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति रिव्यू पिटीशन डाल सकता है लेकिन सवाल ये पूछा गया कि अगर रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दिया जाता है तो क्या किया जाए। तब सुप्रीम कोर्ट अपने ही द्वारा दिए गए न्याय के आदेश को फिर से उसे दुरुस्त करने लिए क्यूरेटिव पिटीशन की धारणा लेकर सामने आई।



पिटीशन किसी सीनियर वकील द्वारा सर्टिफाइड होना ज़रूरी
क्यूरेटिव पिटीशन किसी सीनियर वकील द्वारा सर्टिफाइड होना ज़रूरी होता है, जिसके बाद इस पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर मोस्ट जजों और जिन जजों ने फैसला सुनाया था, उनके पास भी भेजा जाना ज़रूरी होता है। अगर इस बेंच के ज़्यादातर जज इस बात से इत्तेफाक़ रखते हैं कि मामले की दोबारा सुनवाई होनी चाहिए तब क्यूरेटिव पिटीशन को वापस उन्हीं जजों के पास भेज दिया जाता है।



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नई दिल्ली। शाहीन बाग से प्रदर्शन हटाने और सड़क खुलवाने पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की गई। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग को मामला जल्द लिस्ट कराने के लिए मेंशनिंग अधिकारी के पास जाने को कहा। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में गत 15 दिसंबर से धरना प्रदर्शन चल रहा है जिसके चलते दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली सड़क बंद है जिससे के आने जाने वालों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के पूर्व विधायक और भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि कोर्ट धरना प्रदर्शनों के बारे में दिशा निर्देश तय करे जिसमें कि सार्वजनिक स्थलों में धरना प्रदर्शन पर रोक लगाई जाए। याचिका में यह भी मांग की गई है कि कालिंदी कुंज के पास शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के कारण दिल्ली नोएडा रोड बंद हो गई है इसलिए वहां से प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए।
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